मुझे मुसलमान होने के लिए क्या-क्या करना है?
मुसलमान होने के लिए इन छह स्तंभों पर ईमान लाना होगा :
अल्लाह तआला पर तथा इस बात पर विश्वास रखना कि वह सृष्टिकर्ता, आजीविकादाता, संचालनकर्ता और मालिक है। उसके जैसी कोई चीज़ नहीं है। उसकी न पत्नी है, न संतान। वही इबादत का हक़दार है।
इस बात पर ईमान कि फ़रिश्ते अल्लाह के बंदे हैं, अल्लाह ने उनको नूर से पैदा किया है और उनको एक काम यह दिया है कि वे नबियों के पास वह्य लेकर आया करते थे।
नबियों पर अल्लाह की ओर से उतरने वाली तमाम किताबों (जैसे तौरात एवं इंजील -उनके साथ छेड़-छाड़ होने से पहले तक) और अंतिम किताब पवित्र क़ुरआन पर विश्वास।
तमाम रसूलों, जैसे नूह, इबराहीम, मूसा, ईसा अलैहिमुस्सलाम तथा अंतिम नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ईमान रखना और इस बात का विश्वास रखना कि वे इन्सान थे, उनपर अल्लाह ने वह्य उतारी थी और उनको ऐसी निशानियाँ तथा चमत्कार दिए थे, जो उनके सच्चे नबी होने को प्रमाणित करते थे।
आख़िरत के दिन पर ईमान, जब अल्लाह अगले तथा पिछले तमाम लोगों को जीवित करके दोबारा उठाएगा, अपनी सृष्टियों के दरमियान निर्णय करेगा और विश्वास रखने वालों को जन्नत तथा विश्वास न रखने वालों को जहन्नम में दाख़िल करेगा।
तक़दीर पर ईमान तथा इस बात पर विश्वास कि अल्लाह सब कुछ जानता है। उन बातों को भी जो अब तक हो चुकी हैं और उन बातों को भी जो आगे होंगी। अल्लाह ने इन्हें लिख भी रखा है। इस संसार में जो कुछ भी होता है, उसकी मर्ज़ी से होता है और वही हर चीज़ का रचयिता है।