पूज्य रब का अपने सभी गुणों में परिपूर्ण होना आवश्यक है
हमारे सृष्टिकर्ता ने हमें ऐसी अक़्लें (विवेक) दीं, जो उसकी महानता को महसूस कर सकें और ऐसा स्वभाव प्रदान किया, जो उसकी संपूर्णता को प्रमाणित करता है और बताता है कि उसके अंदर किसी कमी का पाया जाना संभव नहीं है।
इबादत केवल अल्लाह ही की होनी चाहिए। क्योंकि वही संपूर्ण है और एकमात्र इबादत का हक़दार है। उसके सिवा किसी और की इबादत उचित नहीं है। क्योंकि उसके सिवा कोई संपूर्ण एवं परिपूर्ण नहीं है। सबको मौत आनी है और फ़ना हो जाना है।
इन्सान, बुत, पेड़ या जानवर का पूज्य पालनहार होना असंभव है।
किसी समझदार व्यक्ति के लिए उचित नहीं है कि वह संपूर्ण हस्ती के अतिरिक्त किसी और की इबादत करे। ऐसे में अपनी ही जैसी या अपने से कमतर किसी अपूर्ण सृष्टि की इबादत भला कैसे उचित हो सकती है?
पालनहार किसी औरत के पेट में भ्रून बनकर रह नहीं सकता और बच्चों की तरह पैदा नहीं हो सकता।
पालनहार ही ने सारी सृष्टियों की रचना की है और सारी सृष्टियाँ उसके मातहत तथा उसके अधीन हैं। अतः कोई इन्सान उसे नुक़सान नहीं पहुँचा सकता। उसे सूली पर चढ़ाना, यातना देना और अपमानित करना किसी के लिए संभव नहीं है।
पालनहार को मौत नहीं आ सकती।
पालनहार न भूलता है, न सोता है और खाना खाता है। वह महान है। उसकी पत्नी या संतान नहीं हो सकती। क्योंकि सृष्टिकर्ता अपने हर गुण में महान है। ऐसा नहीं हो सकता कि उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो या उसके अंदर कोई कमी हो। धार्मिक पुस्तकों के ऐसे तमाम उद्धरण, जो सृष्टिकर्ता की महानता के विपरीत हैं और जिनकी निसबत नबियों की ओर की जाती है, वो सारे के सारे विकृत हैं। वो उस विशुद्ध वह्य का अंग नहीं हैं, जो मूसा अलैहिस्सलाम एवं ईसा अलैहिस्सलाम आदि अल्लाह के नबीगण लाए थे।
अल्लाह तआला ने कहा है :
يَا أَيُّهَا النَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌ فَاسْتَمِعُوا لَهُ إِنَّ الَّذِينَ تَدْعُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ لَنْ يَخْلُقُوا ذُبَابًا وَلَوِ اجْتَمَعُوا لَهُ وَإِنْ يَسْلُبْهُمُ الذُّبَابُ شَيْئًا لَا يَسْتَنْقِذُوهُ مِنْهُ ضَعُفَ الطَّالِبُ وَالْمَطْلُوبُ (73) (ऐ लोगो! एक उदाहरण दिया गया है। इसे ध्यान से सुनो। निःसंदेह वे लोग जिन्हें तुम अल्लाह के अतिरिक्त पुकारते हो, कभी एक मक्खी भी पैदा नहीं कर सकते, यद्यपि वे इसके लिए इकट्ठे हो जाएँ। और यदि मक्खी उनसे कोई चीज़ छीन ले, वे उसे उससे छुड़ा नहीं पाएँगे। कमज़ोर है माँगने वाला और वह भी जिससे माँगा गया।مَا قَدَرُوا اللَّهَ حَقَّ قَدْرِهِ إِنَّ اللَّهَ لَقَوِيٌّ عَزِيزٌ (74) उन्होंने अल्लाह का वैसे आदर नहीं किया, जैसे उसका आदर करना चाहिए! निःसंदेह अल्लाह अत्यंत शक्तिशाली, सब पर प्रभुत्वशाली है।)
[22 : 73, 74]