तीन अंधेरे पर्दों में सुरक्षित ‘उदर‘
﴿خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَأَنْزَلَ لَكُمْ مِنَ الْأَنْعَامِ ثَمَانِيَةَ أَزْوَاجٍ ۚ يَخْلُقُكُمْ فِي بُطُونِ أُمَّهَاتِكُمْ خَلْقًا مِنْ بَعْدِ خَلْقٍ فِي ظُلُمَاتٍ ثَلَاثٍ ۚ ذَٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ﴾ [سورة الزمر : 6]
‘‘उसी ने तुम को एक जान से पैदा किया। फिर वही है जिसने उस जान से उसका जोड़ा बनाया और उसी ने तुम्हारे लिये मवेशियों में से आठ नर और मादा पैदा किये और वह तुम्हारी मांओं के ‘उदरों' (पेटो) में तीन-तीन अंधेरे पर्दों के भीतर तुम्हें एक के बाद एक स्वरूप देता चला जाता है। यही अल्लाह (जिसके यह काम हैं) तुम्हारा रब है। बादशाही उसी की है, कोई माबूद (पूजनीय) उसके अतिरिक्त नहीं है।'' (अल-क़ुरआन, सूरः 39, आयतः 6)
प्रोफ़ेसर डॉ. कीथ मूर के अनुसार पवित्र क़ुरआन में अंधेरे के जिन तीन पर्दों की चर्चा की गई है वह निम्नलिखित हैं :
1- मां के गर्भाशय की अगली दीवार।
2- गर्भाशय की मूल दीवार।
3- भ्रूण का खोल या उसके ऊपर लिपटी झिल्ली।